*कबीर जी ने लिखा है कि-*
*"चींटी के पग नूपुर बाजे"*
*एक चींटी कितनी छोटी होती है, अगर उसके पैरों में भी घुंघरू बाँध दे तो उसकी आवाज को भी भगवान सुनते है। यदि आपको लगता है, कि आपकी पुकार भगवान नहीं सुन रहे तो ये आपका वहम है या फिर आपने भगवान के स्वभाव को नहीं जाना।*
*कभी प्रेम से उनको पुकारो तो सही, कभी उनकी याद में आंसू गिराओ तो सही। फिर एहसास होगा कि केवल भगवान ही है जो बात को सुनते है।*
*एक छोटी सी कथा संत बताते है:*
*एक भगवान के भक्त हुए , उन्होंने 20 साल तक लगातार पाठ किया। अंत में भगवान ने उनकी परीक्षा लेते हुए कहा, अरे भक्त! तू सोचता है की मैं तेरे पाठ से खुश हूँ, तो ये तेरा वहम है।*
*मैं तेरे पाठ से बिलकुल भी प्रसन्न नही हुआ*।
*जैसे ही भक्त ने सुना तो वो नाचने लगा, और झूमने लगा।*
*भगवान ने बोला, अरे! मैंने कहा कि मैं तेरे पाठ करने से खुश नही हूँ और तू नाच रहा है।*
*वो भक्त बोला, भगवन आप खुश हो या नहीं हो ये बात मैं नही जानता।*
*लेकिन मैं तो इसलिए खुश हूँ, कि आपने मेरा पाठ कम से कम सुना तो सही, इसलिए मैं नाच रहा हूँ।*
*मैं तेरे पाठ से बिलकुल भी प्रसन्न नही हुआ*।
*जैसे ही भक्त ने सुना तो वो नाचने लगा, और झूमने लगा।*
*भगवान ने बोला, अरे! मैंने कहा कि मैं तेरे पाठ करने से खुश नही हूँ और तू नाच रहा है।*
*वो भक्त बोला, भगवन आप खुश हो या नहीं हो ये बात मैं नही जानता।*
*लेकिन मैं तो इसलिए खुश हूँ, कि आपने मेरा पाठ कम से कम सुना तो सही, इसलिए मैं नाच रहा हूँ।*
*ये होता है भाव।*
*थोड़ा सोचिये,विचार कीजिए*
*जब भी भगवान को याद करो उनका नाम जप करो तो ये मत सोचना कि भगवान आपकी पुकार सुनते होंगे या नहीं? कोई संदेह मत करना, बस ह्रदय से उनको पुकारना, तुम्हे खुद लगेगा कि हाँ, भगवान आपकी पुकार को सुन रहे है। और आपको इसका अहसास भी होने लगेगा।*
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