Patakho Ke Dushprabhav in hindi,पटाखों के दुष्प्रभाव हिंदी में : जैसा की जानते है ये समय दिवाली का चल रहा है और पटाखों को जलने से बहुत सारा प्रदूषण होता है , और आज हम Patakho Ke Dushprabhav के बारे में बात करने वाले है की अगर आप भारी मात्रा में पटाखों का उपयोग करते है तो ये आप के हेल्थ के लिए और पर्यावरण के लिए कैसे नुक्सान दायक है | ये है कुछ Patakho Ke Dushprabhav जिनको आपको भी जानना किये |
1.पटाखों के शोर से श्रवण शक्ति में बाधा हो सकती है इसलिए बेहतर यही है की काम शोर करने वाले पटाखों को जलाया जाये।
2.ज़्यदा रोशनी वाले पटाखों से आँखों को नुकसान पहुंचना |
3.पटाखों की बारुद से स्किन पे छलो का पड़ जाना |
4 .पटाखों के शौकीनों के लिए इस दीपावली पर बाजार में इकोफ्रेंडली पटाखे आए हैं, जिससे आपका पटाखे जलाने का शौक भी पूरा हो जाएगा और वो भी वायुमंडल को नुकसान पहुँचाए बगैर। अब आप ही बताएँ कि है ना यह फायदे का सौदा? जिस परिवेश में हम रहते हैं, उसी को हम प्रदूषित करके अपनी जान के लिए खतरा मोल लेते हैं। पटाखे फोड़ना कोई बुरी बात नहीं है।
दीपावली खुशियों का त्योहार है तो क्यों न हम इस दीपावली पर वायुमंडल को नुकसान पहुँचाए बगैर इकोफ्रेंडली पटाखों से अपने इस शौक को पूरा करें।
5 . पटाखों की धमक हमारे चेहरे पर जरूर मुस्कान लाती है, पर यह मुस्कान हमारी बर्बादी का पूर्वाभ्यास होती है। इसका आभास हमें उस वक्त नहीं होता जब हम पटाखों की रोशनी में खो जाते हैं।
1.पटाखों के शोर से श्रवण शक्ति में बाधा हो सकती है इसलिए बेहतर यही है की काम शोर करने वाले पटाखों को जलाया जाये।
2.ज़्यदा रोशनी वाले पटाखों से आँखों को नुकसान पहुंचना |
3.पटाखों की बारुद से स्किन पे छलो का पड़ जाना |
4 .पटाखों के शौकीनों के लिए इस दीपावली पर बाजार में इकोफ्रेंडली पटाखे आए हैं, जिससे आपका पटाखे जलाने का शौक भी पूरा हो जाएगा और वो भी वायुमंडल को नुकसान पहुँचाए बगैर। अब आप ही बताएँ कि है ना यह फायदे का सौदा? जिस परिवेश में हम रहते हैं, उसी को हम प्रदूषित करके अपनी जान के लिए खतरा मोल लेते हैं। पटाखे फोड़ना कोई बुरी बात नहीं है।
दीपावली खुशियों का त्योहार है तो क्यों न हम इस दीपावली पर वायुमंडल को नुकसान पहुँचाए बगैर इकोफ्रेंडली पटाखों से अपने इस शौक को पूरा करें।
5 . पटाखों की धमक हमारे चेहरे पर जरूर मुस्कान लाती है, पर यह मुस्कान हमारी बर्बादी का पूर्वाभ्यास होती है। इसका आभास हमें उस वक्त नहीं होता जब हम पटाखों की रोशनी में खो जाते हैं।
Post a Comment